विंध्यवासिनी मंदिर में, जन्माष्टमी जश्न की प्रमुख झलकियां
- आज जन्माष्टमी न सिर्फ मथुरा बल्कि पूरे देश में मनाई जा रही है
- विंध्याचल में भी कंस के हाथों से छिटककर अष्ट पूजा पर्वत पर विराजमान महामाया के घर खुशी
- भगवान कृष्ण से सिर्फ 6 दिन बड़ी बहन योग माया के दर पर भी जश्न
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव समूचे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ऐसे में श्रीकृष्ण से सिर्फ 6 दिन बड़ी उनकी बहन योगमाया के दर पर भी भक्तिगीत और नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
दिल्ली से आए भजन गायक नंदू मिश्र ने और अन्य कलाकारों ने भी माता विंध्यवासिनी के चरणों में सुरीले भजन समर्पित किए
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विंध्य पर्वत पर विंध्याचल में विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के धाम में उनके भाई श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। दिल्ली समेत मथुरा से आए कलाकरों ने अद्भुत गीतों और भजनों की प्रस्तुति दी। माता विंध्यवासिनी की भक्ति में लीन भक्तों ने भी नंदू के साथ सुर में सुर मिलाए। इसके साथ देर रात जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बहन के आंगन में भाई के जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ी। माता की निराली शान और सजावट ने भक्तों को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
कुछ ऐसे हुआ था आदिशक्ति माता का अवतरण बाबा नंद के घर संतान के रूप में आदिशक्ति माता महामाया का अवतरण हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पापी कंस ने कन्या का पैर पकड़ कर जमीन पर पटककर मारने का प्रयास किया तब कन्या उसके हांथ से छिटककर आकाश की ओर उड़ गई।
महामाया कंस को उसके काल की खबर देकर माता विंध्य पर्वत पर आकर विराजमान हो गईं। मार्कण्डेय पुराण में वर्णन भी है कि “नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भ संभवा, ततस्तौ नाशयिस्यामी विंध्यांचल निवासिनी।”
समीर वर्मा की रिपोर्ट