संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण से निराश हूं: दिग्विजय सिंह
नई दिल्ली, (Today MZP News): कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संयुक्त संबोधन से निराश हैं।
दिग्विजय सिंह ने कहा,
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“हमें संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण से उम्मीदें थीं, लेकिन मैं निराश हूं। उन्होंने कुछ ऐसी बातें कहीं, जिनकी जरूरत नहीं थी”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तहत 1975 में ‘ आपातकाल ‘ लगाए जाने की आलोचना की।
संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और सबसे काला अध्याय था।
आपातकाल के दौरान पूरा देश अराजकता में डूब गया था , लेकिन राष्ट्र ऐसी असंवैधानिक शक्तियों के खिलाफ विजयी हुआ।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश को आश्वस्त किया कि आगामी संसद सत्रों में केंद्रीय बजट के दौरान प्रमुख आर्थिक और सामाजिक निर्णय और ऐतिहासिक कदमों की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा, “देश में छह दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है। लोगों ने तीसरी बार इस सरकार पर भरोसा जताया है।
लोग जानते हैं कि केवल यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक है। इस लोकसभा का गठन अमृत काल के शुरुआती वर्षों में हुआ था।
यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी साक्षी बनेगी।” उन्होंने कहा, “आगामी सत्रों में यह सरकार इस कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है।
यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य की दूरदर्शिता का प्रभावी दस्तावेज होगा। बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसलों के साथ-साथ इस बजट में कई ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे।
” राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा ( नीट ) परीक्षा 2024 को लेकर उठे विवाद पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार पेपर लीक की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच के साथ-साथ दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “सरकार का यह निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का पर्याप्त अवसर मिले। मेरी सरकार पेपर लीक की हाल की घटनाओं की निष्पक्ष जांच के साथ-साथ दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले भी हमने विभिन्न राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं देखी हैं। इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस समाधान की आवश्यकता है। संसद ने परीक्षाओं में अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कानून बनाया है।”