तीसरी आँख : सोशल साइट के क्लॉस- वन और क्लॉस-टू जैसे ग़जटेड ऑफिसरों की पहचान।
◆इसमें दो तरह की कैटेगरी होती है। ◆प्रथम कैटेगरी वाले धड़ाधड़ बांटते रहते हैं राष्ट्रभक्त, पाकिस्तान- परस्त, गद्दार, पप्पू, मंदबुद्धि, चमचा का सर्टिफिकेट।
- ◆दूसरे स्तर पर अंधभक्त, अनपढ़, जुमलेबाज, बैलबुद्धि, चन्दाचोर, परमात्मा-अवतार का सर्टिफिकेट।
- ◆इसके लिए आवश्यक अर्हता है कि गूगल में मौखिक बोल कर मनमाफिक वीडियो सर्च करने की क्षमता हो।
◆विशेषता यह भी हो कि ह्वाट्सएप ग्रुप बनाया जाए तथा अधिक से अधिक ग्रुपों से सम्बद्धता बनाई जाए।
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◆क्योंकि सौ-दो सौ ग्रुपों की सम्बद्धता निचले दर्जे की मानी जाती है।
◆शान से बताने के लिए हजार ग्रुप से जुड़े होने का दावा किया जाए फिर तो ‘बाटी-चोखा’ शब्द-युग्म से ‘चोखा’ शब्द लेकर अपना रंग चोखा बताया जा सके ।
◆फिर तो कुछ कम्पनियों से सीजनल ऑफर भी मिलने लगेगा।
◆ऊपर से तैयार माल की तरह मैसेज/पोस्ट मिलने लगेंगे।
◆इसमें अधिकांश नफरती पोस्ट ही होंगे जिसे जहर की तरह घोलने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
◆इसमें एक बात विशेष रूप से लिखी होगी कि तीन/पांच/सात/नौ/ग्यारह ग्रुपों में भेजो और चमचमाता सर्टिफिकेट लो। इसमें मेहनत/मजदूरी और गिफ़्ट पैक का मामला छुपे रुस्तम की तरह होता है।
◆क्योंकि जितना अधिक पोस्ट/वीडियो आगे बढ़ता है तो उतना अधिक भुगतान ‘हेड कम्पनी’ को गूगल की ओर से किया जाता है।
◆गलती से पोस्ट आगे बढ़ाने में बड़े सदन में क्रॉस वोटिंग वाली गलती हो जाती है तो ग्रुप में तत्काल गाली बौछार होने लगती है।
◆धमकी भी दी जाती है कि ग्रुप से वैसे ही कान पकड़ कर बाहर कर दिया जाएगा जैसे सरकारी बेसिक स्कूलों में बच्चों को टीचर कान पकड़ कर बाहर करता है।
◆मनमाफिक पोस्ट पर 👍 शाबासी मिलती है।
◆हालांकि ग्रुपों में मैसेज/पोस्ट की हालत गङ्गा में बाढ़ के दिनों में बहकर आने वाले खर-पतवार जैसा होता है।
◆जो बिजी है, जिन्हें घर-परिवार से लेकर बाहरी दुनियाँ के कामों की व्यस्तता है, वे सीधे बिना पढ़े डिलीट कर देते हैं।
◆जिनके पास काम की कमी या धूप्पलबाजी से कमाई का जरिया है, वही दिन भर इसी काम को संलग्न रह कर और खुद को अंबानी-अडानी जैसा बिजी मैन समझ कर इतराते भी हैं।
● सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।