गंगा के टीले पर दर्जनों की संख्या में फसे मवेशी, प्रशासन बेखबर
- चारो ओर बाढ़ के पानी से घिरा टीला, दर्जनों की संख्या में मौजूद है मवेशी
कछवां। क्षेत्र के बरैनी गांव में स्थित भटौली पक्के पुल के समीप बाढ़ के पानी से चारों ओर घिरे टीले पर दर्जनों की संख्या में मवेशिया फंसी हुई नजर आ रही है लेकिन प्रशासन पूरी तरह से निष्क्रिय साबित हो रही है।
गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से मौन है। शासन व प्रशासन की लापरवाही सामने देखने को मिल रही है। आसपास के लोगों में भी कोई अप्रिय घटना की आशंकाएं बनी हुई है।
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जानकारी के अनुसार गंगा का जलस्तर कम होने पर छुट्टा पशु बरैनी घाट की ओर से हरे चारे को खाने के लिए कम पानी से होते हुए रेत के टीले पर पहुंच जाती हैं।
जहां उनको बिना रोक-टोक के हरा चारा पेट भर खाने को मिल जाता है। जिससे पशु टीले पर ही टिके रहकर आशियाना बना लेते हैं। वही इन दिनों गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण छुट्टा पशु टीले पर ही फंस चुके हैं।
रेत का टीला चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिर चुका है जिससे मवेशियों को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। जिनको बचाने वाला भी कोई नहीं है।
जहां सरकार एक तरफ गायों को संरक्षण एवं संवर्धन देने के लिए तरह-तरह की योजनाएं व सुविधाएं दे रही है तो दूसरी ओर शासन और प्रशासन उस पर पानी फेरता हुआ दिखाई दे रहा हैं।
वही पिछले वर्ष भी आए हुए बाढ़ में सैकड़ो मवेशियां गंगा की जल प्रवाह में बह गई थी और कुछ को तो स्थानीय नाविकों व गोताखोरों द्वारा सकुशल बचा लिया गया था। कोई भी दुर्घटना होने से पूर्व बेजुबान जानवरों की चेतना प्रशासन को मुनासिब नहीं समझ में आ रहा हैं।
वही इस विषय पर स्थानीय गोताखोर महात्मा निषाद ने बताया कि शासन और प्रशासन सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए हम लोगों का इस्तेमाल करती है।
जहां हम सभी गंगा में अपनी जान को जोखिम में डालकर बचाव कार्य करते हैं जिसके बदले में कोई भी सहायता हम सभी को नहीं मिल पाता है।
शासन और प्रशासन अपना काम लेने के बाद हम सभी नाविकों को पूरी तरह से भूल जाता है। और बताया कि पिछले बार भी बाढ़ में फंसी मवेशियों को बचाने के लिए आए अधिकारीयों ने गंगा किनारे जमीन को पट्टा कराने का प्रलोभन देकर बचाव कार्य तो करा लिया लेकिन काम निकलते ही पहचानना ही भूल गये।
वैसे ही स्थानीय पुलिस द्वारा भी गंगा में डूबे लोगों की तलाश कराया जाता है लेकिन सहायता के लिए कुछ भी नहीं किया जाता है। बताया कि अपने टीम के सहयोगियों द्वारा हम सभी निस्वार्थ भाव से अपनी जान जोखिम में डालकर प्रयास करते है। लेकिन बाद में अधिकारी पहचानने से ही मुकर जाते है तो तकलीफ होती है।
कछवां से शिवम मोदनवाल की रिपोर्ट
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