लालगंज : अंग्रेजों के विरुद्ध उपरौध की धरती पर पहली क्रांति का हुआ था आगाज
लालगंज। प्रसिद्ध मिलिट्री ग्राउंड लालगंज में जब अंग्रेजी पुलिस से तीन उपाध्याय बंधुओं से टकराव हुआ था। बात इस कदर बिगड़ गई थी कि उपाध्याय बंधुओ ने अंग्रेजी थाने की पुलिस को घुसकर पिटाई किया था और वह अंग्रेजों के विरुद्ध उपरौध की धरती पर पहली क्रांति की आगाज थी।
लालगंज के तत्कालीन सरपंच पंडित अमृतलाल उपाध्याय की दो भाई रघुनाथ व श्याम सुंदर उपाध्याय की अंग्रेजी सत्ता की पुलिस से लालगंज मिलिट्री ग्राउंड में झड़प हो गई थी।
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खबर मिलते ही सरपंच अमृतलाल उपाध्याय भाइयों के साथ लालगंज में स्थापित अंग्रेजी थाना में घुसकर पुलिस की पिटाई किए थे। जिलेभर में यह खबर इस तरफ फैली की लालगंज में आजादी की क्रांति की बिगुल बच चुकी है।
पुलिस और उपाध्याय बंधुओं की लड़ाई थाने में पंजीकृत कर दिया गया। उस समय न्यायलय प्रक्रिया मिर्जापुर में थी। मुकदमा पंजीकृत होने के बाद लालगंज थाने की पुलिस धर पकड़ में जुट गई।
सरपंच होने के कारण अमृतलाल और उनके भाई श्याम सुंदर उपाध्याय और रघुनाथ उपाध्याय के विरोध में जांच टीम गठित कर दिया गया। पुलिस टीम गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी करने लगी।
न्यायालय ने गवाह पेश करने के लिए अवसर दिया। विवाद से संबंधित प्रकरण को देखते हुए उपाध्याय बंधुओ ने आधा दर्जन गवाह में नाम दिए थे। समय आने पर पुलिस के विरुद्ध गवाही के लिए केवल दो व्यक्ति ही मिर्जापुर न्यायालय पहुंचे।
हक की लड़ाई लड़ने वाले उपाध्याय बंधुओ की कहानी उपरौध और मिर्जापुर जिले में चारों तरफ गूंजने लगा। अंग्रेजी पुलिस का दहशत किस तरह था कि कोई भी गवाह अंग्रेजों के विरोध में देने के लिए खड़ा होने को तैयार नहीं हुए।
उसमें दो गवाह लालगंज के प्रतिष्ठित व्यापारीअडंगा साउ और पाल बस्ती के नचकू पाल अंग्रेजी शासन के मजिस्ट्रेट के सामने बताया कि पुलिस की गलती थी। वह मिलिट्री ग्राउंड में दहशत पैदा कर रही थी।
ग्रामीणों को परेशान कर रही थी। जिसके कारण सरपंच अमृतलाल उपाध्याय उनके भाई रघुनाथ उपाध्याय और श्याम सुंदर उपाध्याय से टकरा हुआ था।
- क्षेत्र में कहानी की तरह लोगों की जुबान पर मिलिट्री ग्राउंड की लड़ाई आज भी चर्चा के केंद्र में है।
- इस संबंध में नाशक गोपाल के नाती इंद्रपाल कहते हैं कि दादा साहसी थे और उपाध्याय बंधुओं के साथ खड़े थे।
बल्हिया कला निवासी प्रभाशंकर तिवारी कहा कि जो लड़ाई उपाध्याय बंधुओ ने अंग्रेजी पुलिस से लड़ी वह शानदार थी क्योंकि उसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट ने विजय दिया।
- देश के आजादी के बाद उनके परिवार के लोग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पदवी लेने से इनकार किया था ।
तत्कालीन सरपंच के नाती लालगंज के प्रधान कृष्ण प्रसाद उपाध्याय उर्फ नचकऊ ने कहा कि देश सेवा के बदले कुछ नहीं चाहिए।
मिर्जापुर लालगंज से प्रभाशंकर दुबे की रिपोर्ट
Lalganj “Today MZP News

