ताउम्र हिंदी के सभापति सदृश रहे डॉक्टर सभापति मिश्र
◆हड़िया पीजी कॉलेज में थे हिंदी विभागाध्यक्ष
◆मिर्जापुर के ऐतिहासिक कार्यकर्मो में ससम्मान आमंत्रित किए जाते रहे
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◆उनजे एक अनुज ADM एवं दूसरे SP(सिटी) के रूप में मिर्जापुर की सेवा की
◆हिंदी पखवारे के दौरान डॉक्टर सभापति का हुआ स्वर्गारोहण
◆जानने वालों के शोक संदेशों में दी जा रही श्रद्धाञ्जलि।
मिर्जापुर। उच्च शिक्षण संस्थान में हिंदी के पठन-पाठन से जुड़कर निरन्तर हिन्दी भाषा के सभापति-सदृश रहे प्रयागराज जनपद के हंडिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष पद को गौरवान्वित करने वाले डॉक्टर सभापति मिश्र अंततः हिंदी-पखवारे के दरम्यान 78वें वर्ष की आयु शुरू होने के प्रथम दिन मायाधीश नारायण ने उन्हें स्वर्गलोक का सभापति बना दिया।
वे महालयारंभ (पितृपक्ष) के प्रथम दिवस 18 सितंबर, बुधवार को पितृलोक चले गए। ब्रेन हेमरेज के चलते वे मेदांता में 15 दिन पूर्व एडमिट हुए थे लेकिन उन्हें बचाया न जा सका।
डॉक्टर सभापति मिश्र हिंदी साहित्य के साथ-साथ आध्यात्मिक साहित्य के वेदश्री एवं पुराणश्री थे। प्रयागराज एवं पड़ोसी विंध्याचल मण्डल तो उनका साधना एवं तपस्यास्थल रहा ही है। देश के कोने-कोने में जहां भी उनका व्याख्यान हिंदी साहित्य एवं धर्म कथाओं पर हुआ, वह न सिर्फ श्रोतावर्ग बल्कि वक्तावर्ग ‘अद्भुत एवं अद्वितीय उद्बोधन’ की टिप्पणी अवश्य करता रहा।
डॉक्टर सभापति मिश्र के निर्देशन में पीएच-डी करने वाले शोधार्थियों का मत प्रायः यही सुना गया कि वे शोध-प्रबंध के गाइड के रूप में जब बोलते थे तब लगता यही था कि उनकी जिह्वा जरूर स्पंदित हो रही है लेकिन बोल रही हैं जिह्वा पर बैठी मां सरस्वती ही।
मिर्जापुर में 80 के दशक से हिंदी गौरव डॉक्टर भवदेव पांडेय के साथ डॉ मिश्र का साहित्य-विमर्श निरन्तर चलता रहा ।
इसी बीच हिंदी पुस्तकों के लोकार्पण के अनेक समारोहों में पूर्व राज्यपाल स्व विष्णुकांत शास्त्री, हिंदी के राष्ट्रीय समीक्षक एवं जेएनयू के हिंदी विभाध्यक्ष प्रोफेसर नामवर सिंह एवं मैनेजर पांडेय तथा काशीनाथ सिंह के साथ स्व डॉ मिश्र अवश्य शामिल होते रहे।
मिर्जापुर में कदम रखते ही उन्हें अपूर्व सुख मिलता रहा।
उनके इस सुख भाव को समझकर ही प्रतीत यही होता है कि माँ विन्ध्यवासिनी ने उनके दो अनुजों को इस जिले की सेवा के लिए बुला ही लिया था। जिसमें डॉक्टर वेदपति मिश्र अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के पद पर थे तो डॉक्टर श्रीपति मिश्र पुलिस अधीक्षक (नगर) के पद पर रहे। डॉक्टर श्रीपति मिश्र के श्वसुर डॉक्टर राजकुमार पाठक भी राजकीय इंटर कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद थे। डॉक्टर पाठक अभी भी यहाँ की साहित्यिक संगोष्ठियों में भागीदारी करते हैं।
◆सलिल पांडेय, मिर्जापुर।