पुस्तक चालीसा लेखन के मुकाम तक पहुंच कर चिरनिद्रा में हो गए डॉ सभापति मिश्र
◆40वीं पुस्तक का प्रूफ देखने की इच्छा प्रकट कर रहे थे अपने छोटे भाइयों से
◆श्रद्धाञ्जलि क्रम में रिटायर्ड DIG डॉ श्रीपति मिश्र एवं माध्यमिक शिक्षा सचिव डॉ वेदपति मिश्र ने व्यक्तित्व-कृतित्व पर प्रकाश डाला
मिर्जापुर के लोगों ने दी श्रद्धाञ्जलि
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मिर्जापुर। लेखन और चिंतन-मनन की प्रवृत्ति भी अद्भुत होती है। जिसकी ऐसी प्रवृत्ति हो जाती है, आखिरी सांस तक इससे वह मुक्त नहीं हो पाता है।
ऐसी ही स्थिति प्रयागराज जनपद के हड़िया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ सभापति मिश्र की थी जो मेदांता अस्पताल, लखनऊ में ब्रेन हैमरेज के चलते इलाज़ के लिए थे तो एडमिट लेकिन अपने दोनों छोटे भाइयों, रिटायर्ड DIG डॉ श्रीपति मिश्र एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव डॉ वेदपति मिश्र से जीवन की आखिरी श्वास तक कह रहे थे, ‘मेरी 40वीं पुस्तक ‘मानस के राम : कथ्येतर प्रसङ्ग’ का प्रूफ घर पर है, मंगवा दो, मैं उसे यहीं बेड पर चेक करता रहूंगा।’
प्रायः उच्चकोटि के साहित्यकार अपने लेखकीय स्वभाव को जीवन के साथ ऐसा सम्बद्घ हो जाते हैं कि मृत्यु भी सामने खड़ी हो तो भी उससे निश्चिंत रहते हैं।
यह प्रसङ्ग स्व सभापति मिश्र के हड़िया मुंगराव, खदरान ग्राम में श्रद्धाञ्जलि के लिए जुटे लोगों के बीच डॉ श्रीपति मिश्र ने बताया। मिर्जापुर से डॉ भवदेव पाण्डेय शोध संस्थान की ओर से सलिल पाण्डेय एवं के बी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के बी एड विभागाध्यक्ष डॉ भवभूति मिश्र, साहित्यकार अनिल यादव एवं डॉ श्रीपति मिश्र के साले बजाज स्कूल मिर्जापुर के शिक्षक कुलभूषण पाठक शोक संवेदना प्रकट करने जब शुक्रवार को गए तब स्व सभापति मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर परिवार के लोगों ने विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्व मिश्र के अनुज राजकीय इंटर कॉलेज, लखीमपुर खीरी से सेवानिवृत्त हुए डॉ उमापति मिश्र भी शामिल थे। लगातार शोक श्रद्धाञ्जलि व्यक्त करने के क्रम में राजकीय इंटर कॉलेज, ज्ञानपुर से सेवानिवृत्त हुए डॉ राजकुमार पाठक भी शामिल हुए थे।
मिर्जापुर में बतौर ASP सेवा कर चुके डॉ श्रीपति मिश्र एवं बतौर ADM (F&R) डॉ वेदपति मिश्र ने इस जिले से दिवंगत भ्राता के लगाव की चर्चा करते हुए कहा कि माँ विन्ध्यवासिनी के दर्शन के अलावा साहित्यिक संगोष्ठियों एवं विमर्शों के लिए वे प्रायः मिर्जापुर जाते रहे। खासकर डॉक्टर भवदेव पाण्डेय के साथ उनका समय अधिक व्यतीत होता रहा।
यहां सेवा कर चुके दोनों प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले के तमाम अनुभवों एवं संस्मरणों को साझा किया। महसूस यही हुआ कि मिर्जापुर अभी भी इनके हृदय में जीवंत है।
सभी उपस्थित लोगों ने दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार स्व मिश्र के पुत्र ने किया है।
सलिल पांडेय, मिर्जापुर।