गुरु पूर्णिमा विशेष : जानिएं कौन हैं यूपी के देवरहा बाबा, जिनका आशीर्वाद इंदिरा गांधी से लेकर जॉर्ज पंचम तक ने लिया
भारत ऐसे ही नहीं ऋषि-मुनियों का देश रहा है। यहां संतों की भक्ति की शक्ति का एहसास लोगों को प्राचीन काल से ही है। भारत में ऐसे कई संत हुए हैं, जिन्हें दिव्य संत कहा गया है।
आज हम आपको एक ऐसे दिव्य संत, सिद्ध पुरुष, कर्मयोगी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया के लोग उनके आश्रम पर आते थे।
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हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के चमत्कारी देवरहा बाबा की। देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष व कर्मठ योगी थे। देवरहा बाबा ने कभी अपनी उम्र, तप, शक्ति व सिद्धि के बारे में कोई दावा नहीं किया। वे बिना पूछे ही सबकुछ जान लेते थे
देवरहा बाबा यूपी के ‘नाथ’ नदौली ग्राम, लार रोड, देवरिया जिले के रहने वाले थे। देवरिया जिले के होने के कारण ही उनका नाम देवरहा बाबा पड़ा।
आयु, योग, ध्यान और आशीर्वाद, वरदान देने की क्षमता के कारण लोग उन्हें सिद्ध संत कहते थे। देवरहा बाबा का जन्म अज्ञात है। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा 250 से 500 वर्ष तक जिंदा रहे।
पैर के अंगुठे से आशीर्वाद देते थे देवरहा बाबा देवरहा बाबा अपने मचान से श्रद्धालुओं को पैर के अंगूठा से आशीर्वाद देते थे। बाबा से आशीर्वाद लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी प्रसन्न हो जाती थीं।
जल पर चलते थे बाबा पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा से भक्तों का विश्वास है कि वे जल पर चलते थे, उन्हें प्लविनि सिद्धि प्राप्त थी। बाबा ने किसी भी गंतव्य स्थल पर पहुंचने के लिए कभी सवारी नहीं की।
वे हर साल माघ मेले में प्रयागराज जाते थे। यमुना किनारे वृंदावन में बाबा आधे घंटे तक बिना सांस लिए ही पानी में रह लेने थे।
कहा जाता है की बाबा ने ही कांग्रेस को दिया था पंजा का निशान: देश में आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुआ तो इंदिरा गांधी बुरी तरह हार गईं।
तब इंदिरा गांधी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचीं। बताया जाता है कि उस दौरान बाबा ने इंदिरा गांधी को हाथ का पंजा उठाकर आशीर्वाद दिया था।
जिसके बाद से ही इंदिरा गांधी ने पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा कर दिया। पंजा निशान पर ही 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की और वे देश की प्रधानमंत्री बनीं।
सन 1911 में जॉर्ज पंचम भी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम आए थे। बताया जाता है कि उन्होंने बाबा से काफी देर तक बातें की थी।
देवरहवा बाबा तो अब इस दुनिया में नहीं है परंतु उनके शिष्य देवरहा हंस बाबा अब उनकी मचान पर विराजमान है । देवरहा बाबा की तरह हंस बाबा भी भक्तों को पैर के अंगूठे से आशीर्वाद देते हैं
आज गुरु पूर्णिमा का पर्व होने के चलते देश के कोने-कोने से भक्तगण बाबा का आशीर्वाद लेने विंध्याचल के अमरावती स्थित आश्रम में पहुंचे हुए हैं और बाबा का दर्शन कर उनसे आशीर्वाद ले अपना जीवन धन्य कर रहे हैं
Rajan Gupta
Editor in chief
“Today MZP News“