हाथरस की घटना नरसंहार है – सलिल पांडे
- ◆सनातन संस्कृति में यदि विश्वास है तो निम्नांकित विंदुओं पर भी मनन करने की जरूरत है।
- ◆सनातन संस्कृति में देवी-देवताओं की सत्ता सर्वोपरि है, इस सिद्धांत को गांठ में बांधना चाहिए।
- ◆यह भी मानना चाहिए कि अदृश्य शक्तियों की मर्जी के हिसाब से सब कुछ घटित होता है।
- ◆अनुकूल घटित हुआ तो इसका मतलब जीवन अनुकूल तरीके से जीया जा रहा है, प्रतिकूल घटित है तो गलत तऱीके की जीवन शैली है।
- ◆पेड़ बबूल का लगाकर आम की उम्मीद बेवकूफी है।
◆हाथरस में हुई घटना से प्रतीत हो रहा है कि सत्संगकर्ता का जीवन नकारात्मक है और उसी का यह हृदयविदारक नरसंहार कांड है।
◆दुनियां की 5वीं शक्ति की ओर ले जाने वाली डबल इंजन सरकार के समय बिना समुचित इंतजाम के दुस्साहसिक कार्यक्रम की तो उम्मीद नहीं की जा सकती।
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◆बिहार में 4 पुल, उत्तराखंड में एक पुल, यूपी के अयोध्या में मंदिर का टपकना, रेलवे बाउंड्री का गिरना, रामपथ का जगह-जगह धँसना, नई दिल्ली एवं लखनऊ एयरपोर्ट के टर्मिनल का गिरना आदि भी भगवान का रोष मानना चाहिए।
◆राम मंदिर की स्थापना के वक्त हुई भूल-चूक, मणिपुर में मृत आत्माओं के कोपको भी ध्यान में रखना चाहिए।
◆हिन्दू संस्कृति दिवंगत आत्माओं की भी पूजा पर बल देती है। अतः इसकी उपेक्षा घातक होगी।
◆लोकहित में इसके लिए मंदिरों में क्षमा-प्रार्थना अनुष्ठान करना चाहिए क्योंकि भूल-चूक के लिए नित्य पूजा में गलतियों के लिए माफी मांगने का विधान है।
◆सांसारिक ताकत और सत्ता से ईश्वरीय सत्ता को चुनौती नहीं दी जा सकती है।-
सलिल पांडेय, मिर्जापुर।