मोहर्रम की 7 वीं तारीख को इमाम हुसैन की शहादत की याद में दुलदुल घोड़े का जुलूस इमामबाड़ा से निकाला गया।
आपको बताते चलें कि मोहर्रम में दुलदुल घोड़े की रस्म एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो खासकर इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाई जाती है। इस रस्म के दौरान, दुलदुल घोड़ा इमाम हुसैन के युद्ध में इस्तेमाल होने वाले घोड़े का प्रतीक होता है।
इस दिन लोग विशेष प्रकार से सजाए गए घोड़े को लेकर जुलूस निकालते हैं, जो हुसैन की बहादुरी और बलिदान को याद दिलाता है। यह रस्म शांति, एकता और बलिदान की भावना को प्रकट करती है और मोहर्रम की 8वी तारीख धार्मिक और सांस्कृतिक अहमियत रखती है।
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आम तौर पर, इस रस्म में लोग श्रद्धा के साथ शामिल होते हैं मातम करते हैं नोहा पढ़ते हैं और दुलदुल घोड़े की सजावट और उसके साथ चलने वाले जुलूस में भाग लेते हैं।
Rajan Gupta
Editor in chief
“Today MZP News“