काशी विद्यापीठ : स्नातक में छात्रों को अब दो मेजर विषय का करना होगा चयन
- काशी विद्यापीठ में कुलपति की अध्यक्षता में प्रवेश समिति की बैठक सम्पन्न
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मंगलवार को कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी की अध्यक्षता में प्रवेश समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में उ.प्र. शासन द्वारा सत्र 2024-25 से एनईपी के अंतर्गत चलाये जा रहे स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए नवीन पाठ्यक्रम संरचना के क्रियान्वयन हेतु दिये गए प्रस्ताव के बिन्दुओं पर चर्चा की गई।
सत्र 2024-25 से एनईपी के अन्तर्गत चलाये जा रहे स्नातक पाठ्यक्रमों में विद्यार्थी को प्रवेश के समय तीन मेजर विषयों की जगह सिर्फ दो मेजर विषय का चयन किसी एक संकाय से करना होगा और यही उसका अपना संकाय होगा।
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इन्हीं दो स्नातक मेजर विषय के साथ विद्यार्थी इस संकाय में वह अगले तीन वर्ष (छः सेमेस्टर) तक अध्ययन करेगा। दो मेजर विषय के साथ विद्यार्थी को तीसरा विषय का भी चयन करना होगा, जो उसका माइनर विषय होगा। स्नातक स्तर पर विद्यार्थी को मेजर एवं माइनर विषयों के साथ कौशल विकास कोर्स तथा सह-पाठ्यक्रम कोर्स का भी अनिवार्य रूप से अध्ययन करना होगा।
बहुविषयकता के दृष्टिगत रखते हुए। विद्यार्थी माइनर विषय का चयन विश्वविद्यालय / महाविद्यालय में उपलब्धता के आधार पर चाहे तो अपने संकाय से कर सकता है या फिर किसी अन्य संकाय से चुन सकता है। विद्यार्थी को एक-एक माइनर विषय का स्नातक प्रथम वर्ष (द्वितीय सेमेस्टर) एवं द्वितीय वर्ष (चतुर्थ सेमेस्टर) में अध्ययन करना होगा। विश्वविद्यालय / महाविद्यालय में अध्यापकों की उपलब्धता एवं संसाधनों के आधार पर विभिन्न विषयों की सीट पर प्रवेश दिया जायेगा।
छात्र को विषय पुंज में दिये गये समूहों में से किसी भी दो विषयों को मुख्य विषय के रूप में चुनना होगा। छात्र को अपने पहले मुख्य विषय के लिए एक समूह से और दूसरे मुख्य विषय के लिए दूसरे समूह से विषय का चयन करना होगा। छात्र को अपने दो चयनित समूहों को छोड़कर किसी अन्य समूह से किसी एक विषय का और चयन करना होगा, जो उसका माइनर विषय होगा।
मेजर विषयों हेतु दो प्रायोगिक विषय का आवंटन किया जायेगा। माइनर विषयों में प्रायोगिक विषयों का आवंटन नहीं किया जायेगा। विश्वविद्यालय/महाविद्यालय में उपलब्धता एवं प्रचलित कोर्स के आधार पर माइनर विषय का आवंटन किया जायेगा।
माइनर पेपर का आवंटन स्नातक द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर में किया जायेगा। विद्यार्थी प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में माइनर हेतु चयन किये गये विषय का द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के प्रश्न पत्र का अध्ययन करेगा। माइनर पेपर की परीक्षा द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर में उस विषय की मेजर पेपर की परीक्षा के साथ सम्पन्न होगी।
कौशल विकास कोर्स को विद्यार्थी स्नातक स्तर पर प्रथम तीन सेमेस्टर (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय सेमेस्टर) में अध्ययन करेगा तथा सह-पाठ्यक्रम कोर्स को उसे प्रथम चार सेमेस्टर (प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर) में अध्ययन करना होगा।
विद्यार्थियों को कौशल विकास कोर्स तथा सह-पाठ्यक्रम कोर्स के आवंटन को और सुविधाजनक बनाने के लिए सेमेस्टरवार इनका ग्रुप बना दिया गया है।
विद्यार्थी कौशल विकास कोर्स और सह-पाठ्यक्रम कोर्स का चयन नीचे दी गई सूची में से उस ग्रुप से करेगा जिसमे वह वर्तमान में अध्ययनरत होगा। अर्थात यदि विद्यार्थी द्वितीय सेमेस्टर में अध्ययनरत है तो वह द्वितीय सेमेस्टर में उपलब्ध ग्रुप में से ही कौशल विकास कोर्स तथा सह-पाठ्यक्रम कोर्स का चयन कर सकता है।
किसी अन्य सेमेस्टर के ग्रुप में से नहीं कर पायेगा। स्नातक चतुर्थ सेमेस्टर में विद्यार्थी को सह-पाठ्यक्रम कोर्स में एक भारतीय भाषा/स्थानीय भाषा का अध्ययन करना अनिवार्य होगा।
बैठक में प्रवेश समिति समन्वयक प्रो. संजय, कुलानुशासक प्रो. के.के. सिंह, उपकुलसचिव हरीश चन्द सहित विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, महाविद्यालयों के प्राचार्य आदि उपस्थित रहे।

