जब नगरपालिका कर्मी ने जिला पंचायत अध्यक्ष से कहा : कौन अध्यक्ष और कहां के अध्यक्ष ?
- ◆ जन्ममृत्यु प्रमाणपत्र के लिए भाजपा के ही जिला पंचायत अध्यक्ष से अभद्र तरीका अपनाया गया
- ◆ सफाई नायक निलंबित और पटल लिपिक को हटाया गया
- ◆ गत वर्ष जन्म-मृत्यु में भारी खेल के आरोपी जिसे DM द्वारा बैड इंट्री दी गई थी, लिपिक को लाने की पेशबंदी
- ◆ उन दिनों मामला मुख्य सचिव तक गया था।
- समझा जा सकता है कि जनता की मजबूरी का कितना फायदा उठा रहे ये लिपिक?
मिर्जापुर। अपने ड्राइवर के पिता की मृत्यु के प्रमाणपत्र में पैसे मांगने की शिकायत पर जब खुद जिला पंचायत अध्यक्ष, जो भाजपा के ही है, ने संबन्धित लिपिक को फोन किया तो उसका लहजा ऐसा था जैसे वह नगरपालिका का कर्मचारी नहीं बल्कि प्रदेश स्तर का कोई बड़ा अधिकारी है।
लगा उल्टे प्रश्न करने, ‘कौन अध्यक्ष, कहाँ के अध्यक्ष? इस सवाल से खिन्न जिला पंचायत अध्यक्ष ने जब ऊपर फोन किया तो हड़कम्प मचना स्वाभाविक था। इसी हड़कंप में चौबेटोला के सफाई नायक को निलंबित एवं पटल सहायक को सीट से हटाया गया है।
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इसके बाद का खेल ?
आनन-फानन में जन्म मृत्यु में भारी खेला करने के कारण अप्रैल ’23 में तत्कालीन डीएम के साथ प्रशासक भी रहीं दिव्या मित्तल के द्वारा बैड इंट्री प्राप्त लिपिक को पटल सहायक के पद पर लाने का जुगाड़ शुरू हो गया।
पता तो यह चला कि आदेश बन भी गया लेकिन जब अध्यक्ष एवं ईओ को पिछले साल की राम कहानी मालूम हुई तो उस आदेश को रोक दिया गया।
- इस लिपिक को पूर्व में नगरपालिका अध्यक्ष रहे मनोज जायवाल ने 22 महीने तक निलंबित रखा था।
उन दिनों का मायाजाल
दर असल उन दिनों नगरपालिका का एक रिटायर्ड कर्मी सारी पत्रावली पर संबन्धित लिपिक को ज्ञान देता था कि फाइल को कैसे लटकाया जाए। इसी बीच रमईपट्टी मुहल्ले के एक प्रतिष्ठित परिवार के युवक की ट्रैक्टर से दबकर मृत्यु के प्रमाण पत्र में मामला तूल पकड़ इसलिए लिया कि पीड़ित परिवार से कहा गया, ‘हम तो चमड़ी उधेड़ कर पैसा लेते हैं तब प्रमाणपत्र देते हैं।
इस प्रकरण की जब जांच हुई तो लगभग 8-9 सौ जन्म मृत्यु के आवेदन पत्र पेंडिंग पाए गए थे और तत्कालीन डीएम एवं वर्तमान में कार्यरत ADM शिव प्रताप शुक्ल द्वारा कराई गई जांच में आरोप सही पाए गए थे।
तत्कालीन ईओ अंगद गुप्त को एक सप्ताह में निस्तारण का आदेश दिया गया था जिसके चलते 12 बजे रात तक कार्यालय खुलवा कर फाइलों का निस्तारण किया गया था।
हम नहीं सुधरेंगे की हालत
हालात यही बता रहे कि जन्म-मृत्यु जैसे संवदेनशील मुद्दे पर सौदेबाजी जारी है। इस पर रोक लगनी ही चाहिए।
● सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।