प्राइवेट स्कूलों में अभिभावकों की लूट: चिल्ह मिर्जापुर क्षेत्र में बढ़ता खर्च
चिल्ह मिर्जापुर क्षेत्र में निजी स्कूलों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों को न केवल महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, बल्कि विभिन्न प्रकार के शुल्क जैसे प्रवेश शुल्क, वार्षिक शुल्क, परीक्षा शुल्क, मासिक शुल्क, वाहन शुल्क आदि भी वसूले जा रहे हैं।
निजी स्कूलों की मनमानी
निजी स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के नाम पर खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन वास्तव में ये स्कूल अभिभावकों की जेब काटने का काम कर रहे हैं। एक कागज के टुकड़े के लिए 500 रुपये का प्रवेश फॉर्म शुल्क लिया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से अनुचित है।
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शिक्षा का व्यवसायीकरण
निजी स्कूलों में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है, जिससे क्षेत्र के बच्चों को आधुनिक वातावरण से वंचित होना पड़ रहा है। गांव के गरीब किसान और छोटे व्यापारियों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे सामाजिक दूरियां भी बढ़ती जा रही हैं।
सरकार की भूमिका
भ्रष्टाचार के खिलाफ दंभ भरने वाले और सत्ता का सुख भोगने वाले इस मुद्दे पर मौन धारण किए हुए हैं। शिक्षा माफियाओं के खिलाफ कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। शिक्षा निदेशालय को ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो अभिभावकों को महंगे दाम पर किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर करते हैं ¹।
अभिभावकों की मांग
अभिभावकों को चाहिए कि वे निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाएं और सरकार से मांग करें कि शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाई जाए। निजी स्कूलों को सख्त नियमों के तहत काम करना चाहिए और अभिभावकों को राहत प्रदान की जानी चाहिए।

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सुशील कुमार उपाध्याय की रिर्पोट
” Today MZP News “
Editing By Manoj Sharma