सोनभद्र। आंवला वृक्ष की पूजा कर मनाया गया अक्षय नवमी का पर्व
- अक्षय नवमी पर जनपद सोनभद्र के मंदिरो, धार्मिक स्थलों पर विविध प्रकार के धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।
- धूमधाम से मनाया गया अक्षय नवमी का पर्व
सोनभद्र। कार्तिक मास में पड़ने वाला अक्षय नवमी का पर्व सोनभद्र जनपद में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने आंवले के वृक्ष का पूजन और आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करके आध्यात्मिक की सुख की अनुभूति किया। जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज के दंडईत बाबा मंदिर परिसर में स्थित आंवले के पेड़ की पूजा की और अक्षय नवमी से संबंधित कहानियां सुनी तथा विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर चढ़ाया गया। और आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
बता दें कि मंगलवार को पूरा दंडईत बाबा मंदिर परिसर पिकनिक स्पॉट बन गया था। यहां पर लोगों की काफी भीड़ देखी गई।
कार्तिक मास की अष्टमी को गोपाष्टमी और नवमी को आंवला नवमी भी कहते हैं। गोपाष्टमी पर गो, ग्वाल और कृष्ण को पूजने का महत्व है तो आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का महत्व है।
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गोपाष्टमी के बारे में लोक मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए मां यशोदा ने जंगल भेजा था। इस दिन प्रातःकाल गौओं को स्नान कराकर जल, अक्षत, रोली, गुड, जलेबी, वस्त्र तथा धूप-दीप से आरती उतारते हैं। संध्याकाल गायों के जंगल से वापस लौटाने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाना की परंपरा आज भी कायम है।
साहित्यकार प्रतिभा देवी ने बताया कि -“आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं।
भारतीय लोक में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार- “माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। मां लक्ष्मी ने विचार किया कि आखिर एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है? तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
अक्षय नवमी के इस पर्व के अवसर पर जनपद सोनभद्र के ग्रामीण, शहरी, कस्बाई इलाकों में जहां पर आंवले का पेड़ अवस्थित है।
वहां पर श्रद्धालु महिलाओं ने आंवले के वृक्ष की पूजा करते हुए इस पर्व से संबंधित भजन कथा का श्रवण एवं वाचन किया।
दंडित बाबा मंदिर परिसर में आयोजित आवला वृक्ष की पूजा में प्रतिभा केसरवानी, किरन केसरी, मंजू, प्रीति, सुशमा, श्वेता, सरिता सिंह, सुनीता यादव, चंदा, ऋतु विश्वकर्मा, उषा मिश्रा, ज्योति, प्रियंका, बिंदु, पूनम, शांति
सोनभद्र से रवि पाण्डेय की रिपोर्ट
” Sonbhadra Today MZP News “