Sonbhadra News : प्रेमचंद की कहानियां समय की मर्मस्पर्शी कथा चित्र हैं – ए0के0 त्यागी
- 0 प्रोण् आनन्द कुमार त्यागीए कुलपति ए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का हुआ भव्य सम्मान
- 0 प्रेमचंद के कथा साहित्य पर गोष्ठी में हुआ मंथन
सोनभद्र । महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ए वाराणसी के कुलपति प्रोण् आनंद कुमार त्यागी ने कालजयी कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को अपने समय और समाज के मर्मस्पर्शी कथा चित्र की संज्ञा दी ।
संत कीनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय ए राबर्ट्सगंज के सभागार में मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती पर बुधवार को गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अपना वकतब्य दिया।
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प्रेमचंद के कथा साहित्य की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर प्रोण् त्यागी ने कहा . प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी शतरंज के खिलाड़ी आदमी की इस मानसिकता पर तीखा प्रहार है कि दुनियां में आग लगती रहे ए उन्हें सिर्फ अपने मजे से मतलब है ।
इस कहानी में मिर्जाजी और मीर साहिब शतरंज खेलते रहे आखिर अंग्रेजी फौज ने लखनऊ पर कब्जा कर लिया और वे दोनो खेलऋ खेल में लड़ पड़े एफिर एक दूसरे को मौत के घाट उतार दिया ।
प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट ए कलम का सिपाही ए कलम का जादूगर और इसी प्रकार के अनेक नामों से पुकारा जाता है ए जो सर्वथा उचित है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति प्राविधिक विश्वविद्यालय ए लखनऊ के प्रोण् दुर्ग सिंह चौहान ने कहा कि एष् मुंशी प्रेमचन्द जी के कथा साहित्य में कई ऐसी कहानियां हैं ए जो दिलो दिमाग को झकझोरने और मर्म स्थल को तीव्रता से छू लेने वाली हैं । नमक का दरोग ए ईदगाह ए पूस की रात ए पंच परमेश्वर और गुल्लीऋ डंडा आदि ऐसी ही कहानियां है जो पाठक के अंतः स्थल पर ऐसी छाप छोड़ देती हैं ए जो हमेशा के लिए अंकित होकर रह जाती हैं । करीब दर्जन भर उपन्यास और सवा तीन सौ कहानियां रचकर भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में कलम के सिपाही के रूप में शिरकत करने वाले प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हो गया ए लेकिन उनके पात्र वर्तमान समय में भी समाज में मिल जाएंगे ।
संत कीनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय राबर्ट्सगंज के संस्थापक संरक्षक ए श्री हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय ए वाराणसी से सेवानिवृत प्राचार्य ए साहित्यकार ए लेखक डॉ0 गया सिंह ने कहा कि हिन्दी ऋ उर्दू कथाऋसाहित्य की कर्मभूमि बदल कर ए यथार्थवादी कायाकल्प करने वाले अमर शिल्पी कथाकार धनपत राय श्रीवास्तव ने पीड़ित मानवता के मर्म को अपनी कहानियों में जिस ढंग से उकेरा है ए उसकी प्रासंगिकता वर्तमान समय में भी उतनी ही है ए जितनी ब्रिटिश काल में थी ।
नबाब राय का नाम छोड़ कर प्रेमचंद नाम से लिखने वाले इस कथा शिल्पी का जन्म 31 जुलाई ए 1880 ई को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था । आज कहानी उपन्यास लिखने वालों के लिए वह तीर्थ के समान है ।
ठाकुर का कुंआ ए नमक का दरोगा कहानी हिन्दी साहित्य में चर्चा के केंद्र में रही है । प्रेमचंद ने न केवल दलित जीवन को छुआ ए बल्कि उसके संकट को शिद्दत से उभारा और दलितों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को व्यापक फलक पर रेखांकित भी किया ।
पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग, महात्मा गॉधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, प्रोण् सुरेन्द्र प्रताप ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेमचंद त्याग के प्रतिमूर्ति थे । शिक्षा विभाग में नौकरी करते हुए वे सब ऋ डिप्टी इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल बने ए लेकिन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय होने के कारण नौकरी छोड़ी और हंस पत्रिका की शुरुआत कर लेखन कार्य में जुट गए।
वरिष्ट समीक्षक डॉ0 इन्दीवर पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचन्द की प्रासगिकता को किसी भी हाल में चुनौती नही दी जा सकती। प्रेमचन्द की रचना कल भी प्रासगिक थी आज भी प्रासंगिक है और कल भी प्रासंगिक रहेगी।
सदस्य राज्यसभा एवं प्रबन्धक राजाराम महाविद्यालय भरहरी चोपन, सोनभद्र माननीय रामसकल जी ने कहा कि प्रेमचन्द्र भारतीय कथाकारो के लिए आदर्श है । उन्हे छोड़कर भारतीय कथा की कल्पना भी ाी नही की जा सकती। उन्होने आमजन की समस्या को अपनी रचना का कथावस्तु बनाया।
पूर्व विधायक तीरथराज जी ने कहा कि प्रेमचन्द भारतीय किसान की समस्या को अपने उपन्यास का विषय बनाकर रचना के क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया है।
उपन्यासकार एवं असुविधा पत्रिका के संपादक रामनाथ शिवेंद्र ने कहा किए ष् गांधी जी के सामाजिक तथा राजनीतिक सरोकारों ने उनके समकालीन वैश्विक परिदृश्य पर गहरा असर डाला था । वे सरोकार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और उसका असर उतना ही अधिक मूल्यवान है ए सत्य और अहिंसा की तरह ही वह देश काल से बाधित नही है ।
संगोष्ठी की प्रस्तावना रखते हुए और शब्द प्रसून से मुख्य अतिथि और अभ्यागतों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉण् गोपाल सिंह ने प्रेमचंद के साहित्य में सोद्देश्यता पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि प्रेमचंद बिना किसी वाद में बंधे ए जैसा मणिकांचन समावेश किया ए वह धीरे धीरे दुर्लभ होता जा रहा है ।
सोद्देश्यता के पीछे जो सहृदयता अधिष्ठित है ए उसे अब अतिभावुक सरलीकरण कहा जाने लगा है किंतु सबके उदय का सर्वोदय के जिस भाव का अभिसिंचन गांधी जी अजीवन करते रहे ए वह भाव कभी भी कालबाह्य नही हो सकता ।
श्री सिंह ने कहा कि प्रेमचंद छायावाद काल में सक्रिय रहे । छायावाद का समय 1918 से 1938 तक माना जाता है । हिन्दी में प्रेमचंद का पहला उपन्यास सेवासदन 1918 में प्रकाशित हुआ और अंतिम उपन्यास गोदान 1936 में छपा । इस बीच वह लगातार कहानियां भी लिखते रहे और पत्रिकाओं का संपादन भी करते रहे ।
उन्होंने कहा प्रेमचंद वस्तु परक रहे । समाज की धड़कने उनके उपन्यासों और कहानियों में धड़कती है । उनके साहित्य में गांवए खेत ए खलिहान ए गरीबी ए राष्ट्रीय आंदोलन की छवि ए मनुष्य की जिजीविषा ए उसके संकट आदि अभिव्यक्त है ।
कुलपति प्रोण् आनन्द कुमार त्यागी का महाविद्यालय परिवार की ओर से डाण् गया सिंह ए डा ण् गोपाल सिंह ने प्रवेश द्वार पर भव्य स्वागत किया । संत कीनाराम सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने बैड बजाते हुए कुलपति की अगवानी और आव भगत किया तो पब्लिक स्कूल की गैलरी में खड़ी संत कीनाराम महिला स्नातकोत्तर महाविद्याल की छात्राओं ने भारतीय परिधान में सजी सर पर मंगल कलश रखे गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्पा वर्षा कर द्वितीय सेवा विस्तार पाए प्रोण् त्यागी का भव्य स्वागत किया ।
मंच पर आने के पूर्व प्रोण् ए.के. त्यागीए कुलपति महात्मा गॉधी काशी विद्यापीठ वाराणसी व प्रोण् दुर्ग सिंह चौहान एवं सदस्य राज्यसभा रामसकल जी ने विधि विधान से संत कीनाराम ए मां सरस्वती ए मुंशी प्रेमचंद और गणेश जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण किए ।
प्रोण्त्यागी और प्रोण् चौहान को महाविद्यालय की ओर से बाघम्बर ए संत कीनाराम की तस्वीर ए अघोर सम्मान पत्र ए केसरिया साफा और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सारस्वत सम्मान किया गया । विभिन्न महाविद्यालयों के प्रबंधकों और प्राचार्यों ने भी कुलपति का सम्मान किया । गोष्ठी और सम्मान समारोह का संचालन सुरसरी द्विवेदी एवं डॉ0 रबीन्द्र प्रसाद मौर्य ने किया ।
इस मौके पर पूर्व विधायक तीरथराज, पूर्व ब्लॉक प्रमुख और प्रबंधक मधुसूदन सिंह ए डॉक्टर अखिलेश मिश्र ए प्रबंधक ए जय मां भगवती सोनांचल पीजी कालेज ए मनीष पाण्डेय ए प्रबंधक ए ईश्वर प्रसाद पीजी कालेज ए डॉक्टर विमलेश कुमार त्रिपाठी ए लाल बहादुर सिंह ए प्रबंधक ए महारानी लक्ष्मी बाई महाविद्यालय ए राम रक्षा केशरी ए प्रबंधक ए अरुण केशरी ए महाविद्यालय ए दयाशंकर सिंह ए प्रबंधक ए दयाशंकर कुशवाहा महाविद्यालय ए बाबू हिमांशु सिंह ए शीतला सिंह ए दयाशंकर पाण्डेय ए राजेश मिश्र ए राजा राम मौर्यए रामप्रवेश मौर्य ए मनोज श्रीवास्तव ए सैब्या सिंह ए हरीश कुमार सिंह ए सूरज गुप्ता ए रविंद्र प्रसाद त्रिपाठी ए सुधीर पटेल प्रदीप कुमार सिंह समेत पब्लिक स्कूल के नन्हे मुन्ने बच्चे ए महिला पीजी कालेज की छात्राएं और पीजी कालेज के छात्र व्यवस्था में सक्रिय योगदान दिया । सभागार को सुरुचि पूर्ण ढंग से सजाया गया था । अभ्यागतो के स्वागत सत्कार और सम्मान में महाविद्यालय प्रबंधन ए प्रशासन ए ऋछात्राएं पलक पांवड़े बिछाए सक्रिय थे । संकल्प से सिद्धि तक एक ऋएक सोपान तय करते हुए आयोजन अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल रहा । राष्ट्र गान से समापन के बादए दोपहर के स्वदेशी जेवनर के बाद कुलपति महोदय ए प्रोण् चौहान तथा अन्य गणमान्य काशी के लिए प्रस्थान कर गए ।
सोनभद्र से रवि पाण्डेय की रिपोर्ट
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