गुरु गोविंद सिंह के बेटों की शहादत को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है । मिर्जापुर भाजपा जिला कार्यालय पर इस अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व राज्य मंत्री रमाशंकर पटेल विधायक पंडित रत्नाकर मिश्रा और श्रीमती सूचिस्मिता मौर्य भी रही मौजूद
सिक्खों के अंतिम गुरु गोविंद सिंह के बारे में तो हम सभी जानते हैं। उन्होंने धर्म की रक्षा करते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, लेकिन उनके 4 बेटों की शहादत के बारे में कम ही लोगों को पता है। हर साल 26 दिसंबर को गुरु गोविंदसिंह के बेटों की शहादत को याद करते हुए वीर बाल दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है
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बात साल 1705 की है। जब गुरु गोविंदसिंह ने मुगलों की नींद हराम कर दी थी। उस समय मुगलों ने गुरु गोविंद सिंह को पकड़ने के लिए अभियान तेज कर दिया, जिसके कारण वे अपने परिवार से बिछड़ गए। गुरु गोविंद की पत्नी माता गुजरी अपने बेटों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के साथ रसोइए गंगू के साथ गुप्त स्थान पर चलीं गई। लेकिन लालच के चलते गंगू ने सरहिंद के नवाब वजीर खां के हाथों उन सभी को पकड़वा दिया था
नवाब वजीर खां ने माता गुजरी और दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह बहुत अत्याचार किए और धर्म बदलने के लिए कहा। लेकिन इन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उस समय बाबा जोरावर मात्र 7 और बाबा फतेहसिंह 9 साल के थे। गुस्सा होकर वजीर खान ने 26 दिसंबर 1705 को दोनों साहिबजादों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया। जब ये बात माता गुजरी को पता चली तो उन्होंने भी अपना शरीर त्याग दिया।
2 बेटों ने जंग में दी शहादत
गुरु गोबिंदसिंह के 2 बेटे थे, उनमें से 2 बेटे तो दीवार में चुनवा दिए गए, जबकि दो अन्य बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझारसिंह जंग में शहीद हो गए। ये जंग चमकौर में हुई थी। इस जंग में 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से बहादुरी से युद्ध किया और लड़ते हुए शहादत प्राप्त की। इस तरह कुछ ही दिनों में गुरु गोविंद सिंह के चारों बेटों ने देश और धर्म की राह पर चलते हुए अपनी कुर्बानी दे दी।
कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि
Rajan Gupta
Editor in chief
“Today MZP News“
