जानिए : क्या मीरजापुर में स्थित इसी नाग कुंड में है पाताल लोकजाने का मार्ग ?
- मीरजापुर में स्थित नाग कुंड में है पाताल लोक जाने का मार्ग
- नागवंशी राजा दानव राय द्वारा अपने रानियों के स्नान के बनवाया गया था यह नाग कुंड
- इतिहास में भी इस बात के प्रमाण हैं की विंध्य क्षेत्र नागवंशियों की राजधानी रहा है
मीरजापुर । मानव आकाश के अनंत ब्रह्माण्ड के मंगल और चाँद पर बसने की तैयारी कर रहा हैं । जबकि इस धरा पर पाताल लोक जाने का मार्ग बदहाली का शिकार बना हैं ।
किंवदंतियों के अनुसार इसी मार्ग से नागवंशीय राजा अपनी राजधानी में आते थे । यह मार्ग उत्तर प्रदेश की प्राचीन नगरी पम्पापुर वर्तमान विन्ध्याचल में है।
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पम्पापुर नागवंशीय राजाओं की राजधानी थी । पर्यटन विभाग के नक़्शे में शामिल नाग कुण्ड अतिक्रमण और उपेक्षा का शिकार बना हैं ।
विंध्याचल मंदिर से करीब एक किलोमीटर पूर्व गंगा नदी के दक्षिण तट पर नागकुंड स्थित हैं । माता विंध्यवासिनी नागवंशीय राजाओं की कुल देवी के रूप में पूजित रहीं । विश्व प्रसिद्ध विन्ध्याचल धाम के त्रिकोण पथ पर आज भी नाग कुण्ड लाल भैरोनाथ मंदिर के सामने स्थित है ।
कहा जाता है कि पाताल लोक से इसे रास्ते नाग वंशीय आते जाते थे । पाताल लोक जाने वाले मार्ग को नागकुंड के नाम से जाना है । बावन बावली के नाम से चर्चित इस कुण्ड का अपना अलग महत्त्व हैं । कुण्ड के जल तक जाने के लिए चारों दिशाओं से सीढ़िया बनी हैं । जल स्तर बढ़ने बाद लोगों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए जगह जगह चबूतरा बना हैं ।
बताया जाता है कि इस कुण्ड में पांच कुँआ स्थित हैं ।
एक मध्य में तो चार उससे अगल बगल में है । इसी एक कुंए से नागलोक की डगर तय की जाती थी । वर्षो से यहां नाग पंचमी पर विशाल मेला लगता है ।
भारी तादात में लोग स्नान करने आते थे । मान्यता है कि इस कुण्ड स्नान करने वाले को सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती हैं । उसे नाग डसते नहीं थे । समय के साथ नागकुंड अपने अस्तित्व को बचाये रखने लिए संघर्ष कर रहा है ।
- पर्यटन विभाग के संरक्षित कुण्ड के पास वर्षो पहले लगा सूचना बोर्ड धराशाई हो गया हैं ।
- कुण्ड के आसपास गंगा किनारे अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है ।
स्थानीय निवासी अनुज पाण्डेय के अनुसार पर्व पर इस कुण्ड में स्नान करने पर काल सर्प योग समाप्त हो जाता है । इस कुण्ड को बावन घाट की बावली भी कहा जाता है ।
इलाके के पं0 लक्ष्मी नारायण पाण्डेय ने बताया कि वर्षो पूर्व माता के धाम में दूर दराज से आने वाले भक्त इस कुण्ड से जो बर्तन मांगते थे, वह मिल जाता था । लोग उसका प्रयोग करते और उसे साफ़ करके वापस कुण्ड में डाल देते थे । नियत बदलने के साथ ही नागकुण्ड से बर्तन निकलना बंद हो गया ।
इतिहासकार डा0 के0 एम0 सिंह ने बताया कि नागवंशीय राजाओं की राजधानी में नाग कुंडो का प्रमाण मिलता है । सरकारी स्तर पर बरती जा रही उपेक्षा का प्रमाण है कि कभी लोगो की प्यास बुझाकर मन को तृप्त करने वाले कुण्ड की सफाई तक न होने से काई की मोटी परत जमी है ।
- पर्यटन विभाग ने स्थल की महिमा का बखान करते हुए एक बोर्ड लगाया था ।
जो विभागीय लापरवाही से जमीन पर झुक गया है । नागवंशीय राजाओं की कुल देवी माता विंध्यवासिनी के पूजन के बर्तन में धूपदानी पर नाग के फ़न की आकृति नागवंशीय राजाओं की भक्ति का प्रमाण है । देवी के गर्भगृह के उत्तर विन्धेश्वर महादेव अपने गणों के साथ विराजमान होकर क्षेत्र को शिवशक्ति मय बना रहे है ।
नाग पंचमी आने वाला है इसलिए विंध्याचल के रहने वाले रोहित त्रिपाठी अपने युवा साथियों के साथ एक बार पुनः इस कुंड पर पहुंचे हैं और कुंड की साफ सफाई कराई जा रही है
नाग पंचमी के दिन यहां मेला भी लगेगा । क्या आपने पहले कभी इस कुंड के बारे में कहीं पढ़ा या जानकारी पाई थी तो हमें अवश्य बताएं और अगर नहीं जानकारी थी तो यह जानकारी आपको कैसी लगी।
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Rajan Gupta
Editor in chief
“Today MZP News“