वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा की पत्रकार वार्ता
वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित निदेशक कार्यालय के समिति कक्ष में निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। 16 मई 2024 को संस्थान में निदेशक पद संभालने के बाद अब तक के कार्यकाल दौरान हुए अनुभवों को साझा किया और भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की। इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कार्य प्रोफेसर राजेश कुमार, ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रोफेसर सुशांत कुमार श्रीवास्तव, प्रेस एवं प्रचार समिति की अध्यक्ष संयुक्त कुलसचिव श्रीमती स्वाती बिस्वास एवं समिति के सदस्य सहायक कुलसचिव श्री सुधांशु शुक्ला उपस्थित रहे।
प्रस्तुत है निदेशक महोदय द्वारा वार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश….
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संस्थान में निदेशक पद संभालने के बाद निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने विभागों का दौरा किया, विभाग की स्ट्रेंथ और वीकनेस की जानकारी ली। क्या क्या विभागों में सुधार की आवश्यकता है। हर फैकल्टी की अपनी लैब है। वे सभी स्वयं में रिसर्च करते हैं और अपने स्टूडेंट से भी रिसर्च करवाते हैं। ये सबसे अच्छी बात है। कई विभागों के भवन हेरिटेज भी हैं जैसे माइनिंग, मेटलर्जीकल विभाग। कई लैब बहुत अच्छी हैं, छात्र लैब में क्रेन, फर्नेस आदि द्वारा ट्रेनिंग लेकर बिल्कुल ऐसा महसूस कर सकते हैं जैसा फैक्ट्री में दिखेगा।
संस्थान के कई विभाग बहुत यूनीक भी हैं। जैसे फार्मास्युटिकल, सिरामिक, माइनिंग, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग हैं इन्होंने देश को काफी एकेडेमिक लीडरशिप प्रदान की है।
पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बीएचयू से आईटी का आईआईटी में परिवर्त हुए मात्र 12 साल ही हुए हैं। आईआईटी इसीलिये बनाया गया कि ताकि टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें। आज तकनीकी इतनी तेज आगे बढ़ रही है कि अगर उसके साथ हम नहीं चले तो पीछे रह जाएंगे। हमें तेज काम करना होगा। लैब को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना जरूरी है। इसके लिए मंत्रालय से भी बात हुई है और उन्होंने मदद करने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने आगे बताया कि देश की टॉप पांच आईआईटी को छोड दिया जाए तो आईआईटी बीएचयू में संसाधन और सुविधाएं भरपूर हैं। क्षमता के आधार पर देखा जाए तो रैंकिंग में जरूर पीछे हैं मगर इसमें सुधार की पूरी गुंजाइश है। इलेक्ट्रॉनिक एरिया में चिप डिजाइन में हम बेहतर काम कर रहे हैं। कम्यूनिकेशन में अभी 6 जी पर अच्छे रिसर्च हो रहे हैं। एआई में अपार संभावनाएं हैं। अल्मुनाई भी इसे खास तौर पर जोर दे रहे हैं। कई कंपनियां भी इससे जुड़ रही हैं। ई-मोबिलिटी एवं बॉयो-मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण पहल भी की जा रही है।
उन्होंने जानकारी दी कि छात्रों की संख्या कम है। अभी फैकल्टी की संख्या 360 है। अगले तीन वर्षों में लगभग 300 और फैकल्टी की भर्ती करने का लक्ष्य है। हम लगातार एडवरटाइजमेंट करेंगे और लगातार इंटरव्यू कराते रहेंगे। इस गति को तेज करना है। पिछले महीने पांच विभागों का इंटरव्यू हो गया है। इंटरव्यू करा कर तीन महीने के अंदर नियुक्तियां भी देंगे। छह महीने के अंदर बैकलॉग पूरा हो जाएगा। देश के बाहर के सीनियर स्कॉलर, पीएचडी स्टूडेंट को संस्थान में आने के लिए मोटीवेट करेंगे। अन्य आईआईटी में भी जाएंगे और वहां के रिसर्च स्कॉलरर्स को भी संस्थान में नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
आगे कहा कि नई शिक्षा नीति में कई चीजें हमारे कैरीकुलम में है। छात्रों को ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप दिलाएंगे। अभी इंटर्नशिप में दो महीने का है। इसका समय बढ़ाने पर कार्य होगा। ताकि जॉब के अवसर का प्रतिशत बढ़े। मातृभाषा में शिक्षा सबसे बढ़िया है। सरकार की एक बहुप्रतिक्षित योजना है जिस पर काम हो रहा है जैसे विभिन्न आईआईटी में उनकी मातृभाषा में लेक्चरर हुए हैं उनकी रिकार्डिंग उपलब्ध रहेगी। ऐसे में जो छात्र देश की किसी भी आईआईटी में रहेगा संबंधित आईआईटी से अपनी भाषा में रिकार्ड लेक्चर सुन सकेगा। लेकिन अंग्रेजी सीखने पर भी काम करना होता रहेगा।
उन्होंने बताया कि संस्थान एक रिसर्च पार्क बनाने की भी योजना बना रहा है। जैसा आईआईटी मद्रास में बना है। फैकल्टी के पेटेंट को बिजनेस बनाने, मोनिटाइज करने के लिए एक स्थान बनेगा। 85 करोड़ का फंड भवन बनाने के लिए मिल चुका है। उसके बाद अभी स्टार्टअप के लिए एंजल इन्वेस्टर 25 लाख से करोड़ रुपये तक फंड देने के लिए तैयार हैं। काफी अलुमनी भी फंड देने को तैयार हैं ताकि जो भी रिसर्च के बाद स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन मिलता रहे। स्टार्टअप फेलियर का रेट कम करने में रिसर्च पार्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। नौकरी की जगह इंटरप्रिन्योरशिप पर भी जोर दिया जाएगा। इसके लिए संस्थान स्तर पर सुविधा भी दी जा रही है। आईथ्री हब और आईडीएपीटी उपलब्ध हैं जो छात्रों को यह सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान में एक नए गर्ल्स हॉस्टल और एक नया ब्यायज हॉस्टल बनाने की भी योजना है। सिक्योरिटी के सवाल पर निदेशक ने बताया कि सीसीटीवी बेस्ड सर्विलांस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इसका टेंडर होने जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस लगाने की तैयारी है। संस्थान के कंप्यूटर साइंस विभाग से एक सॉफ्टवेयर बनाने की तैयारी है जिससे सीसीटीवी में किसी भी मूवमेंट पर तुरंत सूचना देने लगेगा।
अस्सि नदी को स्वच्छ करने के लिए सिविल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। पूरे विश्व भर में आईआईटी बीएचयू के एल्मुनी हैं। इसके लिए संस्थान में एक टीम बनाई जाएगी जो बराबर उनसे संपर्क करती रहेगी। उनके द्वारा दिये गए प्रतिदान की भी उन्हें जानकारी देती रहेगी। हाई एनर्जी, लेजर टेक्नोलॉजी की तकनीक डेवलप करनी है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 25 साल के लिए पार्टनरशिप साइन किया गया है।
संस्थान की ’साइटेशन पर फैकल्टी’ देश में सबसे आगे है। इसमें पूरे विश्व में आईआईटी बीएचयू की 48 पोजीशन है। इतनी टॉप पोजिशन किसी भी आईआईटी की नहीं है।