गुरु-निष्ठा का सबसे बड़ा क्षेत्र है विंध्यधाम – सलिल पांडेय
मिर्जापुर। साहित्यिक संस्था हिंदी गौरव डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान के संयोजक सलिल पांडेय ने कहा कि ‘गुरु’ या ‘गुरुदेव’ शब्द का प्रयोग करते प्रथम दृष्ट्या जो छवि मन में किसी ऐसे व्यक्ति की बनती है जो अत्यंत वृद्ध हो गया हो,
आंखों में चश्मा लगा हो, सिर पर बाल और चेहरे पर लंबी-लंबी सफेद दाढ़ी, धोती-कुर्ता पहने हो। मूलतः वह अशक्त और वृद्ध हो गया हो तथा गोरे रंग के हो। ऐसे गुरु को उत्तम मान लिया जाता है।
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ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्मग्रन्थों में ऐसे ही गुरु का ज्यादा उल्लेख मिलता जिसके चलते एक छवि मन में गुरु के प्रति अंकित हो गई है। इसके विपरीत युवा, आधुनिक वेशभूषा, आभूषणों से लदे तथा खूब सजे-धजे व्यक्ति की छवि फिलहाल स्वीकार नहीं की जाती अलबत्ता वर्तमान समय में इस तरह के आधुनिक गुरुओं में धर्मग्रन्थों वाली गुरुओं की छवि को अपदस्थ तो किया है।
नगर के तिवराने टोला स्थित गुड मॉर्निंग स्कूल के बच्चों को गुरुपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर सम्बोधित करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि भारतीय समाज में एक कहावत ‘पानी पीजिए छानकर, गुरु कीजिए जानकर’ लोकोक्ति बहुत प्रचलित है क्योंकि पानी नहीं बोलेगा कि उसे पीया जाए या नहीं बल्कि पीने वाले को ही पानी का रूप-रंग देखकर समझना होगा कि पानी पीने योग्य है या नहीं?
उन्होंने कहा कि वास्तव में गुरु की खोज वाह्य जगत की जगह अंगर्जगत में किया जाए तो ‘गुरु’ शब्द की महिमा के किए जितने भी ग्रन्थ लिखे गए हैं, वह कम पड़ने लग जाएंगे। क्योंकि अंगर्जगत का जो गुरु सच में ‘गुरुत्व’ (वजन) बढ़ाता है उसका नाम ‘विवेक’ के रूप में ही लिया जा सकता है।
मां विन्ध्यवासिनी धाम को सबसे बड़ा गुरु-धाम बताते हुए श्री पांडेय ने कहा कि देवताओं की उपेक्षा से नाराज होकर विन्ध्य पर्वत ने सूर्य का रास्ता रोक दिया था। पूरे ब्रह्मांड में जब खलबली मच गई तब उसे नियंत्रित करने गुरु अगस्त्य आए। गुरु को देखकर विंध्य पर्वत ने साष्टांग प्रणाम किया। गुरु ने आदेश दिया कि इसी तरह झुके रहो। जब भी कोई गुरु के आगे झुकता है तो उसकी महत्ता बढ़ जाती है।
गुरु अगस्त्य और विंध्य पर्वत की इस पौराणिक कथा के चलते पूरे प्रदेश में सर्वाधिक स्थानों पर मिर्जापुर में गुरु पूजा के लिए श्रद्धालु आते हैं। इन कारणों से यह क्षेत्र गुरु-निष्ठा का सबसे बड़ा क्षेत्र है।
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● सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।