तीसरी आंख : यूपी का दृश्य ‘जाओ संन्यासी मन्दिर में, ले लो अपना खड़ाऊँ – चिमटा, जाओ अब हरि- भजन करो’ का जप तेजी से
‘दो लड़के’ बजा रहे ताली
हमें तो अपने लूट रहे, गैरों में कहां दम है, अब तो कश्ती वहां डूब रही, जहां पानी है ही नहीं!
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यूपी की सत्ता के गलियारे में इन दिनों यही फ़िल्म दिख रहा।
चुनावी कारवां गुजरे डेढ़ महीने से ऊपर हो गया है लेकिन गर्दा-ग़ुबार खूब उड़ रहा। इसे उड़ाने में अपने ही फ्रंट लाइन पर हैं।
इस गर्दे-ग़ुबार में ‘चाल-चेहरा-चरित्र’ और ‘स्वशासन, सुशासन तथा अनुशासन’ के बड़े बड़े बोर्ड धूल से ढक गए हैं।
गारंटी किसी और की थी, जीत होती तो ‘गारंटी-सम्राट’ नाम दे दिया जाता लेकिन लम्बे समय से निजी आकांक्षाओं की पूर्ति न होने के असन्तोष की दुलत्ती में सारी पहचान गायब है। बस ख्वाब में सिंहासन दिखाई रहा।
गीत गाए जा रहे ‘जाओ संन्यासी मन्दिर में, ले लो अपना खड़ाऊँ-चिमटा, जाओ अब हरि-भजन करो’ का जप इस उद्देश्य से चल रहा कि जप सार्थक हो, ‘वरदान’ मिले तथा नए जोगी को सिंहासन से जोग (योग) कराया जा सके।
दर्शक दीर्घा में बैठे ‘दो लड़के’ ताली तो बजाएंगे ही।
● सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।