तीसरी आंख : हादसे के बाबा के कृपा कटाक्ष पर
◆ जिया बेकरार है, छाई बहार है, हमको भी दो कुछ बाबा, तेरे टेलीफोन का मुझे इंतज़ार है।
जिया ललचा रहा है जबसे सुना कि हाथरस का बाबा ‘दोऊ हाथ उलुचिए’ सिद्धान्त के ‘देव-वचन’ के तहत लाशों के नाम पर हल्ला-बोल वालों को इतना साध लिया है कि उसका ‘करुणावतार’ स्वरूप हाथरस में जाकर नहीं बल्कि हाथ में मोबाइल थामते दिखाई पड़ रहा है।
- Advertisement -
5 ही दिन में यह तरक्की तो 5 के गुणनफल में क्या पूछना ? :
पांच दिन पहले 2 जुलाई को एक दो नहीं बल्कि सवा सौ के करीब लोगों को यमराज के हवाले कर यमलोक को भरापूरा बनाने वाले कार्यक्रम के बाद बाबा की प्रथम दृष्ट्या छवि ‘छविगृह’ के पर्दे पर कभी गब्बर सिंह उर्फ अमजद खान, कभी प्रेम चोपड़ा, कभी अमरीश पुरी तो कभी प्राण जैसी बनी
क्योंकि दूधमुँहे बच्चे, तो किसी के रखवाले तो किसी को दो रोटी बनाकर देने वाली अर्धांगनियोंका आधा-तिहा बचा खुचा जीवन पर डाका डालने वाली बनी थी और अब उसी बाबा की आंखों से बहते समंदर तथा सावन आने के पहले झमाझम बरसते आंसूओं के बरसते बादल वाला निरीह, बेबस, असहाय, शोषित, पीड़ित वाला भावुक चेहरे में उसके आयोजन में पद-दलित हुए लोगों का क्रंदन गायब हो गया है।
किसी अल्पमत सरकार के जादुई आंकड़ों सा लग रहा है यह जादुई करिश्मा : यह सब करिश्मा हाथ में एल्युमिनियम का कटोरा थामे घूम रहे हाथ में लकड़ी लेकर अपनी पहचान बनाने वाले उद्घोषकों के ‘वरदान’ से ही संभव हो सका है।
लक्ज़री गाड़ियों, आलीशान भवनों वाले बाबा
यदि ‘खुशियों का सिक्का बरसा रहे हों तो या तो ‘लकड़ी धारक उद्घोषक’ उन्हें मेरा भी बायोडाटा भेज दें या उन्हें किस तरह साधने का प्राणायाम किया जाए यही बता दें तो फिर उनका हम पर एहसान हो जाएगा।
अब लगता है कि बाबा हैं सेफ जोन में:
धर्म की आस्था, जाति और चुनाव की परिकाष्ठा के दौर में अब अंतर्मन से कुहुक-कुहुक की आवाज़ आ रही कि बाबा सेफ जोन में पहुंच गए हैं। रही जांच में कुछ आफिसर लपेट में आ सकते हैं। सुर्खियों में निलंबन, ट्रांसफर इस स्टाइल में होगा जो कानूनी दांवपेंच में जब जाएगा तो कोर्ट क्या निर्णय देगा
● सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।