- आंगनबाड़ी संयुक्त मोर्चा ने निकाला जुलूस किया प्रदर्शन
सोनभद्र। आंगनबाड़ी संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश के आवाहन पर, गुरुवार को आंगनबाड़ी संयुक्त मोर्चा
कर्मचारी संघ
जो संयुक्त मोर्चे का प्रमुख घटक है जिले पर लोडी से पैदल मार्च करते हुए अपनी वर्षों से लम्बित बेहद जायज मांगों को लेकर
जिला / ब्लॉक अध्यक्ष प्रतिमा के नेतृत्व में आँगनबाड़ी कर्मचारीयों ने एजुकेटर भर्ती, ऑनलाइन काम के विरोध मे तथा वर्षों से लंबित मांगों के लिए धरना प्रदर्शन कर जिलाधिकारी/ उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सोपा
वहीं संगठन की जिला/ब्लॉक अध्यक्ष प्रतिमान ने कहा कि में प्रदेश सरकार का ध्यान दिनों दिन बढ़ती मंहगाई में आर्थिक दुर्दशा, जीवन-यापन में मुश्किल, बिना पेंशन रिटायरमेंट की बदहाली तथा बिना पर्याप्त व जरूरी संसाधनों के आंगनबाड़ी सेण्टरों में गैरजरूरी डिजीटल कार्य जबरन थोपे जाने की लाचारी व मानसिक तनाव की ओर ध्यान दिलाना चाहती हूं।
जनहित की अति महत्वपूर्ण समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) की आँगनबाड़ी कर्मचारी रीढ़ तथा मूल जमीनी कार्यकर्ता है, इसको शुरू हुए इस वर्ष 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
वही सरकारी क्षेत्र में सरकार द्वारा नियुक्त होने, सभी कार्य सरकारी करने, सेवा भी बारहमासी, चिरस्थाई अर्थात बिना ब्रेक केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों की सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का कार्य करने के बाद भी केन्द्र तथा राज्यों की सरकारें आँगनबाड़ी कर्मचारियों को अपना स्थाई सरकारी कर्मचारी नहीं मानती। वे दोनों मिलकर कुछ चंद रुपये “मानदेय” के रूप में देकर उन्हें “स्वैच्छिक कार्यकर्ता का तमगा देती है। उन्हें न्यूनतम वेतन तो दूर एक कुशल मजदूर का वेतन भी नहीं दिया जाता।
खेद का विषय है कि सुप्रीम कोर्ट के उन्हें ग्रेच्युटी का तथा माननीय गुजरात हाई कोर्ट के सरकारी कार्मिक के दर्जे के हकदार होने के आदेश को भी सरकार नहीं मान रही। इस महत्वपूर्ण विभाग में चपरासी से लेकर निदेशक तक सभी सरकारी है सिर्फ योजना की ये जमीनी व मूल कार्य-कर्ता अर्थात आंगनबाड़ी कर्मचारी ही बंधुआ मजदूरों जैसी गुलामों की तरह नारकीय स्थितियों में कार्य करने को मजबूर हैं। खेद का विषय है कि आंगनबाड़ी कर्मचारियो की सेवा शतों, मानदेय में सुधार करने की बजाय प्रदेश सरकार आउट सोर्सिंग से संविदा पर “एजुकेटर” नियुक्त करने घर आमादा है जो दास्तव में इस योजन के निजीकरण की शुरुवात तथा आँगनबाडी की मूल सेवाओं में से प्रमुख 3-6 वर्ष के बच्चों की स्कूल पूर्व शिक्षा के उनके महत्वपूर्ण कार्य का घोर अतिक्रमण है।
वहीं संगठन की सचिव ने कहा कि यह स्थिति बेहद निराशाजनक व अन्याय पूर्ण है। दुःख का विषय है कि जिन महिला कर्मचारियों ने बहुत ही विपरीत सामाजिक परिस्थितियों व कठिनाइयों का सामना करते हुऐ अपने जीवन के 30-40 वर्ष, समाज के
सबसे कमजोर, गरीब, शोषित-पीड़ित, वंचित तबके की गर्भवती- धात्री महिलाओं बच्चों की सेवा में व्यतीत किये, देश-प्रदेश को पोलियो मुक्त किया, कोरोना महामारी में जीवन जोखिम में डालकर गरीब-बीमार लोगों की सेवा कर फ्रंट लाइन वर्कर का तमगा पाया, उन्हें आज उत्तर प्रदेश जिसे अब “राम राज्य” कहा जाता है, में बिना कोई फंड, पेंशन, एक मुश्त धनराशि आँखों में आंसू -लिये विदा किया जा रहा है। अफसोस जनक है जो सरकारें और उनके मुखिया जो उन्हें “यशोदा मैया” कहते हैं, खुद मोटा वेतन व पेंशन लेते हैं, वो अब उनके हाथ में कटोरा दे रहे है। उन्हें जबरन भूखमरी में धकेला जा रहा है। जो सरासर अन्याय है।
वहीं वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा कि विडम्बना देखिये बिना संसाधन, नेटवर्क, आधुनिक मोबाइल नेट रिचार्ज धनराशि व अंग्रेजी कम्पयूटर प्रशिक्षण, आँगनबाडी सेण्टरों की सभी सेवाओं को सिर्फ टेलीकाम कंपनियों का मुनाफा बढाने के लिए गैर जरूरी व अव्यवहारिक रुप से आनलाइन किया जा रहा है। बेहद जटिल व कठिन है तकनीक आधारित फेस आईडी, फोटो कैप्बर, ओटीपी, केवाईसी, आधार फीडिंग आदि कार्य जबरन थोपे जा रहे है। इस से भारी तनाव में प्रदेश भर से आँगनबाडी कर्मचारियों को ब्रेनहेमरेज व हार्ट अटैक से आकम्मित मौतों की बेहद दुःखद सूचनाएं लगातार मिल रही है। जो एक त्रासदी से कम नहीं।
“सबसे आश्चर्यजनक है कि वर्षों से प्रमोशन की बाट जोह रहीं बेहद अनुभवी उच्च शिक्षित- प्रशिक्षित व सभी जरूरी अर्हता रखने वाली आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मुख्य सेविका पदों पर प्रमोशन करने की बजाय सरकार बड़ी संख्या में मुख्य सेविकाओं की कमी बताकर, आँगनबाड़ी कर्मचारियों के पर्य-वेक्षण या अधिकार बेसिक स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को दे रही है। मंभल के जिलाधिकारी ने इस सम्बंध में लिखित आदेश-प 16 अप्रैल 2025 जारी किया है। सोचने की बात है कि बेसिक स्कूलों से काफी दूर तथा दूसरे-दूसरे कई विभागों का कार्य कर रही आँगनबाड़ी कर्मचारियों के लिए यह तुगलकी आदेश कितना अव्यवहारिक तथा मनमाना है। इसमें आँगनबाड़ी कर्मचारियों में भारी रोष है।
आंगनवाड़ी संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश अपनी इन्हीं जायज मांगों को लेकर पिछले लम्बे समय से संघर्षरत है। एजुकेटर भर्ती को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और आंगनबाड़ियों को जब तक ऑनलाइन काम के लिए सारी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जाती हैं। तब तक पूरे उत्तर प्रदेश की आंगनबाड़ी कर्मचारी कोई भी ऑनलाइन काम नहीं करेगी। फिर भी सरकार नहीं सुनती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगी जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। इस मौके पर रंजन विंध्यवासिनी गीता सिंह गीता देवी अनीता पुनीता निर्मला आशा कुमारी कविता दुर्गावती सुशीला कुसुम मीरा साधना रघुवंशी संगीता मुन्नी माधुरी पांडेय उर्मिला देवी सोनम विमला शर्मा सहित दर्जनों मौजूद रहे।
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सोनभद्र से रवि पाण्डेय की रिपोर्ट
” Sonbhadra Today MZP News “